Wednesday 20 July 2016

कारण

दर्द नहीं है कोई मौका किसी को युहीं जो मिल जाये
फूल नदी या हवा का झोंका बस युहीं जो चल जाये
फूलों के बिस्तर वाले इसकी कीमत क्या जानेंगे
दर्द उसी को मिलता है जो मरते मरते भी जी जाये ।
दर्द नहीं है लक्ष्य किसी का पाकर जो वो इतराए
नहीं है उत्कंठा कोई जो चखकर देखी ही जाये
कहने वाले कहते हैं की दर्द का कारण ये वो है
नहीं है ये दौलत कोई किसी को यूँ ही दी जाये।
दर्द नहीं है जिज्ञासा कि जिसको छूकर देखा जाये
नहीं दर्द कि परिभाषा कि जिससे समझ में आ जाये
ये तो उपपरिणाम है किसी लक्ष्य के पीछे का
जीतनी ज्यादा हो लगी लगी ये उतना ही बढ़ता जाये।
जीतनी गहराई से सोचा कि इस मंज़िल को पा जाये
दुनिया सारी छूटे मुझसे पर ये आँचल में आ जाये
रास्ता छूटे या देर लगे ये पीड़ा का उद्गगम भर है
जितना विशेष हो कारण वो उतना ही हमको है तडपाये।
अपनी चाहत को लेकर के संदेह कभी जो आ जाये
तो लेना दिल में झांक जरा सा दर्द कहीं जो मिल जाये
बस यही निशानी है उसकी कि सच्चा था विश्वास तुम्हे
जीवन पुष्पित फिर हो जाये जो तार दिलों में हिल जाये।
दर्द नहीं कोई धोखा जो तुमको कोई भी दे जाये
कितना था तुमने प्रेम किया उसका परिमाण बता जाये
जब कम था तब ये थोड़ा था जब ज्यादा था तो बहुत मिला
अपने जीवन कि सत्यकथा ये दर्द हमें ही बतलाये ॥
दर्द नहीं है कोई मौका किसी को युहीं जो मिल जाये॥॥॥
सम्पूर्ण कविता पथ के लिए कृपया निम्नांकित लिंक पर जाएँ



कारण




Thursday 7 July 2016

सुनो तो

सुनो तो



काली घनेरी बूँद से पूछो क्यों रो दिए
इंसान हर तरफ मिला इंसान खो दिए ।

मंदिर हो या मस्जिद कहीं कलीसा सभी जगह
वो तू ही था हर उस जगह, जिसको नज़र किये ।

ऐसा लगे क्यों तुझमे नहीं है कोई रहम
या फिर गुनाह कर दिए अल्लाह जो कहे ।

मजहब नहीं सीखता है गर आपस में रखना बैर
फिर क्यों उसी के नाम पर इतने कतल किये ।

क्या माँ के नाम से बड़ा दुनिया में है मजहब
वो कौन सी आयत थी जो माँ ही ले गए ।
(http://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/twin-allegedly-killed-mother-after-being-stopped-from-joining-isis/articleshow/53080931.cms)

तुझको जरा भी है लगी इस कायनात से 
इंसानियत तू ही पढ़ा या कर फ़ना उन्हें ।

है इल्तिज़ा नहीं मेरी हर दिल की है दुआ
तेरी राज़ा का आसरा है आज भी हमें ।

दरिया ख़ुलूस की बहा नहीं तो सुनेगा फिर
इंसान हर तरफ मिला इंसान खो दिए ।
====== ६ जुलाई २०१६ को लिखित

Sunday 3 July 2016

कोई तो लौटाए

कोई तो लौटाए





लौट आते वो पंछी

आम कि छावों

वही अपना गांव

बारिश सा बनी नदिया

उसमे लहराती इठलाती नईया

पुरानी यादें

तोतले यारों कि बातें

अपनों का साथ

दूर से आती बारात

तारों भरी रात

माँ का प्यार

फिर जोर से पड़ा हाथ

.......