Wednesday 22 June 2016

भीख या माध्यम

ज़िन्दगी मांगती है भीख
हर रोज़
खुशियों अरमानो सम्बन्धों
पैसो की भी
पर सच में पैसो की किसी को जरूरत है क्या
…..शायद नहीं
ये तो बस माध्यम है बाकी सब पाने का
जीत जाने का हार जाने का
किसी को पाने का
खुद के टूट जाने का
फरेब और प्यार
विश्वास और घात
इसके कारण नहीं होते
ये तो बस माध्यम ही है.............
रचना को पूरा पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें...




No comments:

Post a Comment